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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मजबूरियाँ....

सलाम दोस्तों!  आज एक खास मकसद से यह ब्लॉग लिख रही हूँ। काफी दिनों से इस विषय पर लिखने का सोच रही थी पर हर बार लगा कि इससे बहुत लोगों को यह लगेगा कि मैं उनके निजी शौक में दख़ल दे रही हूँ, पर आज मैं खुद को रोक नहीं पायी। दोस्तों, आजकल पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है तो बहुत लोग इस समय का सदुपयोग करने के लिए अपने तरह-तरह के शौक पूरे करने में जुटे हुए हैं,जो कि बहुत अच्छी बात है। इन्हीं में शामिल है- खाना बनाना।रोज़ नए नए व्यंजन बनाना। काफी अच्छा शौक है कि जो चीज़ें हम बाहर बड़े चाव से खाते थे, उन्हें हम घर पर बनाना भी सीख रहे हैं, और अपने परिवार के साथ समय भी बिता रहे हैं जो हम पहले नहीं कर पाते थे।  इसी के साथ एक नया चलन देखने को मिल रहा है,वो है अच्छे- अच्छे व्यंजन बनाकर उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करना। ठीक है ,आपका शौक था, आपकी मर्ज़ी थी,आपका अकाउंट था, आप जो चाहे कर सकते हैं। पर सिर्फ एक पल के लिए उन लोगों के बारे में सोचिए जिनके पास इस लॉकडाउन की वजह से दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पाना भी मुश्किल है ,और उनकी जगह खुद को रख कर देखिए।ईश्वर न करे किसी को ऐसा व...

प्रतिज्ञा

सलाम दोस्तों!  आजकल जहाँ देखो वहाँ हर जगह कोरोना के बारे में ही पढ़ने, सुनने को मिल जाता है। अखबार हो या टीवी, सोशल मीडिया हो या आपसी चर्चा। हर किसी की ज़ुबान पर ये कुछ ही लफ्ज़ हैं -कोरोना, क्वारंटीन,मास्क इत्यादि और हो भी क्यूँ न, इस कोरोना ने हमारा जीवन इतना मुश्किल जो बना दिया है और इस मुश्किल घड़ी में हमारे साथ पूरा शासन, प्रशासन, डॉक्टर और भी लोग हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी मदद करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। हमेशा से ही एकजुटता भारत की पहचान रही है पर न जाने क्यूँ आजकल मैं और शायद आप में से भी कई लोग ये महसूस कर रहे होंगे कि ये एकजुटता कहीं खो सी रही है।  वजह तलाशने जाएंगे तो बहुत मिल जाएंगी पर सवाल ये है कि क्या हम ऐसे  समय में भी एक नहीं हो सकते।हम ऐसे समय में भी जब पता भी नहीं है कि कौन कब कैसे  इस बीमारी की चपेट में आ जाए, बच पाये या न बच पाये...हम एक दूसरे के बारे में नहीं सोच सकते? चलिए ठीक है। मान लेते हैं कि नहीं कर सकते हम ऐसा। पर वो डॉक्टर, पुलिस, नर्स और हमारी सुरक्षा के लिए खड़े हर उस इंसान के बारे में तो सोच ही सकते हैं न ...