सलाम दोस्तों! मैं कुछ दिनों पहले एक अधेड़ उम्र के शिक्षक से मिली जो एक निजी संस्थान में करीब दस वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनसे बातचीत करके लगा कि उनकी मनःस्थिति आप सबके साथ साझा की जाए। माफी चाहूंगी क्योंकि मैं जानती हूं कि यह ब्लाग बहुत लोगों के गले से नीचे नहीं उतरेगा। पर क्या करें, लेखक हैं तो अपने विचार अभिव्यक्त तो करेंगे ही । तो दोस्तों, मैं समाज के उस खास वर्ग की बात कर रही हूं जिनसे समाज में तो बड़ा बदलाव आता है लेकिन इनकी भावनाओं की बात कोई नहीं करता अर्थात शिक्षक। कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी ने 2020 के लिए बनाई गई हर तरह की योजना पर पानी फेर दिया है. मार्च से ही देशभर में बंदी का असर देखा जा रहा है।भारत में परीक्षाओं के महीने मार्च से ही सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए थे. चूंकि साल 2020 को जीरो एकैडमिक ईयर घोषित नहीं किया गया था, इसलिए अप्रैल-जुलाई के बीच सभी शिक्षण संस्थानों के लिए पढ़ाई शुरू करवाना अनिवार्य था. लॉकडाउन में पढ़ाई शुरू करवाने का एक ही विकल्प था और वह था ऑनलाइन एजुकेशन।इन दिनों मेट्रो शहरों से लेकर शहरों, देहातों, कस्बों और गांवों तक इसी माध...