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ये नाराज़गी....

सलाम दोस्तों! आज बहुत दिनों बाद लिख रही हूँ और उसकी वजह है जिंदगी में चल रही ये उथल-पुथल जो सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि सभी की जिंदगी में मची हुई है। सोचिए! एक छोटे से,न दिखने वाले वायरस ने पूरी दुनिया को जैसे रोक सा दिया है।चीन और इटली जैसे देशों के हालात तो बेकाबू होते जा ही रहे हैं, हमारे भारत में भी स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती। सलाम है उन डॉक्टरों को, पुलिस प्रशासन को और उन सभी लोगों को जो इस मुश्किल घड़ी में भी हमारे लिए काम कर रहे हैं और सरकार की पहल 'जनता कर्फ्यू' भी कामयाब रही जो इस स्थिति में हमारे लिए मददगार साबित होगी। आज बंदिशों में कैद रहने वाले पंछियों की व्यथा बहुत अच्छे से समझ आ रही है।खैर,कुछ ही दिनों में क्या कुछ नहीं हो गया।  अगर वजह तलाशने जाऊं तो एक ही वजह नज़र आती है - उस ऊपर वाले की नाराज़गी जिसने अपने घर में आने से भी हमें महरूम कर दिया।चाहे जिस नाम से पुकारिये,उसने हर दरवाज़ा बंद कर दिया हमारे लिए। चाहे मंदिर हो या मस्जिद,चर्च हो या गुरुद्वारा। आखि़र क्यूँ?  कहते हैं न, कि जब वो हमसे नाराज़ होता है तो हमें कुछ इशारे देता है जैसे बेमौसम तेज़ बारिश, कोई प्र...