सलाम दोस्तों! आज बहुत दिनों बाद लिख रही हूँ और उसकी वजह है जिंदगी में चल रही ये उथल-पुथल जो सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि सभी की जिंदगी में मची हुई है। सोचिए! एक छोटे से,न दिखने वाले वायरस ने पूरी दुनिया को जैसे रोक सा दिया है।चीन और इटली जैसे देशों के हालात तो बेकाबू होते जा ही रहे हैं, हमारे भारत में भी स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती।
सलाम है उन डॉक्टरों को, पुलिस प्रशासन को और उन सभी लोगों को जो इस मुश्किल घड़ी में भी हमारे लिए काम कर रहे हैं और सरकार की पहल 'जनता कर्फ्यू' भी कामयाब रही जो इस स्थिति में हमारे लिए मददगार साबित होगी। आज बंदिशों में कैद रहने वाले पंछियों की व्यथा बहुत अच्छे से समझ आ रही है।खैर,कुछ ही दिनों में क्या कुछ नहीं हो गया।
अगर वजह तलाशने जाऊं तो एक ही वजह नज़र आती है - उस ऊपर वाले की नाराज़गी जिसने अपने घर में आने से भी हमें महरूम कर दिया।चाहे जिस नाम से पुकारिये,उसने हर दरवाज़ा बंद कर दिया हमारे लिए। चाहे मंदिर हो या मस्जिद,चर्च हो या गुरुद्वारा। आखि़र क्यूँ?
कहते हैं न, कि जब वो हमसे नाराज़ होता है तो हमें कुछ इशारे देता है जैसे बेमौसम तेज़ बारिश, कोई प्राकृतिक आपदा या महामारी। लेकिन सवाल वही है कि क्यूँ?
आखिर हमने ऐसा किया ही क्या है? है न!
मैं याद दिलाने की कोशिश करती हूं।
हमने पता है क्या किया है? हमने उसे बांट दिया है.... दिल्ली दंगों को ज़्यादा वक्त नहीं हुआ है अभी तो सभी को याद ही होगा कि क्या किया है।कितने ही मासूमों की जानें गई ,कितने अनाथ और बेघर हुए,हमने उसकी दी हुई नेअमतों के साथ खिलवाड़ किया है,हमने बेटियों को रौंदा है, हमने उसकी बनाई हुई इस अनमोल धरती पर न जाने ऐसे कितने गुनाह किए हैं कि वो हमसे इतना नाराज़ बैठा है और अभी भी हम बाज़ नहीं आ रहे।हम तो आज भी उस महामारी को मज़ाक बना रहे हैं जिससे लाखों लोग मर रहे हैं और हम कहते हैं कि हमने किया ही क्या है।
इतने के बाद भी कुछ लोग सुधरना नहीं चाहते। अभी अभी एक सोशल साइट पर एक मोहतरमा ने कोरोना का भी धर्म बता दिया है। बदकिस्मती से वे मेरी फ्रैंड लिस्ट में शामिल थीं।खै़र उन जैसे लोगों की बात करके मैं अपना और आपका वक्त बर्बाद नहीं करना चाहती।
भाइयों और बहनों! आप सभी से गुज़ारिश है कि रुठे हुए को हम सब मिलकर मना लें तो हम सब के लिए ही अच्छा है। वो बड़ा रहीम है,माफ करने वाला है। घर पर रहकर भी कुछ नेक काम करके, उससे माफी मांग कर उसे मनाने की कोशिश करें और दुआ करें कि यह मुश्किल वक्त जल्दी से गुजर जाये।
उड़ान @ हुमा खान
अतिसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा
जवाब देंहटाएंमेम आप ने
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंहमे गर्व हैं कि हम आपकें शिष्य हैं!
धन्यवाद!
Thank you
हटाएंअच्छी शिक्षा,
जवाब देंहटाएंअच्छी सीख!
Damn true Ma'am
जवाब देंहटाएंDamn true Ma'am
जवाब देंहटाएंReally very true message
जवाब देंहटाएंजो खुद पिंजरो में कैद हुए तो समझे
जवाब देंहटाएंक्या गुजरती होगी मासूम परिंदो पे
बहुत अच्छी सोच.....बहुत अच्छे शब्दो में .... 🙏
Thank you
हटाएंGud one beta... 😘😘😘
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएं🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🙂
हटाएंNice lines
जवाब देंहटाएंSuper line
जवाब देंहटाएं