सलाम दोस्तों! कई दिनों से एक बात मन ही मन बहुत खटक रही है। आजकल कोरोनाकाल में काफी समय है तो अक्सर सोशल मीडिया पर कुछ समय बीत जाता है और एक चीज़ जो अक्सर मेरे साथ हो रही है वो ये कि बहुत से ऐसे लोग जिनसे मैं कई बार मिली हूं और जो सामाजिक सौहार्द की बहुत बड़ी बड़ी बातें करते हैं, इतनी कि जिन्हें सुनकर ही आप उनकी बातों के कायल हो जाएं मगर जब वही लोग सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं को लिखते हैं तो किसी धर्म विशेष के बारे में इतनी अपमान जनक टिप्पणियाँ करते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की भावनाएँ आहत हो जाएं तो न जाने ये ज़रा सी ज़हरीली बात क्या रूप ले ले। मैं यहाँ किसी एक धर्म के लोगों की बात नहीं कर रही।हर रोज़ देखती हूं, एक दूसरे को कमेंट्स में नीचा दिखाना,एक दूसरे के धर्म गुरूओं को अनाप-शनाप बोलना, किसी की मान्यताओं को बुरा भला कहना, किसी के त्यौहारों को बुरा भला बताना और भी न जाने क्या क्या। जब ये सब किसी अनजान द्वारा करते देखो तो उतना अचंभा नहीं होता परंतु जब कोई रोज़ का मिलने वाला हो या कभी एकाध बार मिला हो और हम उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए हों तो उनकी ये छोटी सी हरकत उन्...