सलाम दोस्तों! वेलेंटाइन सप्ताह चल रहा है तो ज़ाहिर है यहाँ बात उसी की करने वाली हूँ। इस सप्ताह में गाहे बगाहे अगर प्रेमी जोड़े देखने को मिल जाए तो कोई बड़ी बात नहीं पर एक चीज़ जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है वो है इन जोड़ो की उम्र। जी हाँ, आजकल जो जोड़े दिखाई देते हैं उनकी उम्र इतनी कम होती है कि कभी कभी लगता है कि इनसे बात की जाए, इनकी मनोस्थिति को समझा जाए। महज़ पंद्रह सोलह साल की उम्र में साथ जीने मरने के ऐसे वादे कर लेते हैं जिनका ठीक से मतलब भी इन्हें पता नहीं होता। अक्सर एक चीज़ जो मुझे अंदर तक झकझोर देती है, वह है इनकी पीठ पर दिखाई देने वाले बस्ते।जी हाँ! स्कूल बैग्स या कहें कोचिंग बैग। अर्थ यह है कि ये बच्चे घर से पढाई के इरादे से निकले हैं या यूँ कहें कि इनके घरवालों ने इन्हें अपने सपनो को पूरा करने भेजा है,पर ये क्या! यहाँ तो कोई और ही सपने बुने जा रहे है। क्या इन्हें सच में एहसास नहीं कि ये किस दलदल में फँसते जा रहे हैं?इसका जवाब है -हाँ। इन्हें वाकई नहीं पता कि इससे इन्हें क्या नुकसान है। अब सवाल ये आता है कि इनके इस राह पर जाने की वजह कौन है? कौन जिम्मेदार होग...