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बदलती शिक्षा...

सलाम दोस्तों! 
मैं कई दिनों से बदलती हुई शिक्षा प्रणाली को महसूस कर रही थी। ख्याल आया, क्यूँ न इस बात को लोगों से भी साझा किया जाए।
       आज से कुछ दस साल पहले की बात याद करती हूँ तो सोचती हूँ कि जब मैं स्कूल जाया करती थी तब की किताबों में और आज की किताबों में कोई फर्क नहीं आया लेकिन पढ़ने और पढ़ाने के तरीके में बहुत फ़र्क आ गया है। हमारे टीचर हमें पढ़ाते थे,हमारी गलतियों पर नज़र रखते थे और बखूबी हमें सज़ा भी सुनाई जाती थी। हमारे बातचीत के तरीके पर हमें नसीहत दी जाती थी।  हमारे घर पर हमारे  घूमने फिरने,हमारी संगत  की रिपोर्ट दी जाती थी। शिक्षक को हमारी मरम्मत करने की पूरी आज़ादी होती थी।शिक्षकों से बातचीत का एक लहज़ा होता था।इस बात का कृपया ये मतलब न निकाले कि मैं आज के बच्चों को बदतमीज़ घोषित कर रही हूँ। न! बिल्कुल नहीं। मैं बस उस वक़्त को याद कर रही हूँ। मैं भी एक टीचर हूँ और इस बदलाव को महसूस कर रही हूँ। आज मेरे स्टूडेंट्स मुझसे बिल्कुल दोस्तों की तरह बात करते हैं। अपने दुख दर्द साझा करते हैं,सलाह लेते हैं, हँसी मज़ाक करते हैं और डाँटने पर रूठ भी जाते हैं ।आज शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पूरा करने की मशीन बन चुका हैं। वह अपने छात्रों को टोकने से पहले सौ बार सोचता है,मारना तो दूर की बात है। आज शिक्षा केवल पढ़ाने तक सीमित हो गई है। माता-पिता भी बच्चों के अनुसार और शिक्षक भी।किताबें वही है पर उन्हें पढ़ने का और पढ़ाने का ढंग पूरी तरह बदल चुका है। महंगी किताबें तो आ गई लेकिन पढ़ने का शौक कहाँ से लाएंगे जनाब! खैर जो भी है,बदलाव जीवन का नियम है।बच्चे तो तब भी अच्छे थे और आज भी अच्छे हैं।देखते हैं ये ज़माना और हम शिक्षक कितना बदलते है। तब तक आप भी अपने स्कूल के दिनों को याद कीजिये और मेरेे अगले ब्लॉग का इंतज़ार कीजिये ।।

                                                          -: उड़ान@...हुमा खान 

टिप्पणियाँ

  1. Nice observation ..and u r one of the best teacher in my student life

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  2. आज का माहौल बदल चुका है, अब शिक्षक उतने ज़िम्मेदार नहीं रहे और बच्चे ज्यादा आज़ाद हो गए

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  3. आपने बहुत अच्छा लिखा है आपको बधाई

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  4. बहुत ही अच्छा लिखा मेम आप ने 👌👌👍👍

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  5. Aap Sabhi ka Bahut Bahut shukriya or Aap logo ke sujhav amantrit h

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