सलाम दोस्तों! आज एक ऐसे विषय पर लिख रही हूँ कि शायद सभी को ऐसा लगे कि ये उनके बारे में ही लिखा गया हो जैसे। दोस्तों मैं चाहूंगी कि ये पढ़ने के बाद आप सभी अपने अनुभव और राय जरूर दें। दोस्तों! बात कुछ ऐसी है कि अचानक किसी का मिल जाना, मिलकर फिर बिछड़ जाना और हज़ारों यादें दे जाना। पढ़ने में आसान था न? पर असल जिंदगी में बहुत मुश्किल है इन दो वाक्यों के बीच की दूरी तय कर पाना। जि़दगी के उस मोड़ पर जहाँ हम अकेले सब खुद कर सकते हैं तब हमें कोई मिल जाता है। न! लड़कियों ये मत सोचना कि किसी लड़के की ही बात कर रही हूँ और लड़को ये मत सोचना कि किसी लड़की की ही बात कर रही हूँ। वो कोई भी हो सकता है। कोई दोस्त, सहपाठी, या फिर कोई अनजान ही। हमें जीवन में अक्सर जब हम अकेले ही मस्ती से जी रहे होते हैं तब कोई आकर हमे अपनी आदत डाल देता है। हम हर एक बात के लिए उस पर निर्भर हो जाते हैं। हमारे खान-पान से लेकर हम कहाँ जाते हैं, किससे मिलते हैं, सब कुछ उन्हें पता होता है। और तो और हमारी पसंद-नापसन्द भी बदल जाती है। (कुछ लोग इसे बर्बाद होना भी कहते हैं) मगर फिर भी हम खुशी खुशी बदल ज...