सलाम दोस्तों! आज मैं अपने ही अनुभव से एक विषय पर लिखने जा रही हूँ। विषय आप ऊपर देखकर समझ ही होंगे- तोल मोल के बोल अर्थात जो बोल रहे हैं उन शब्दों का चुनाव सोच समझ कर करें। कई बार हमारी कही हुई एक छोटी सी बात किसी का दिल दुखा देती है। पहले सोचो फिर बोलो। यह कहावत हमारी भलाई के लिए ही कही गई है इसीलिए जो भी बोलें, सोच समझकर बोलें। अक्सर हम ऐसे शब्दों का प्रयोग कर लेते हैं जोकि हमें नहीं करने चाहिए क्योंकि एक बार जो शब्द जुबान से निकल गया, वह वापस नहीं लाया जा सकता और इसमें नुकसान हमारा ही है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें जो किसी को तकलीफ दें।जैसे कम़ान से निकला हुआ तीर कभी वापिस नहीं आता, जैसे काेई पत्ता पेड़ से टूटने के बाद वापिस जुड़ नहीं सकता। ठीक वैसे ही मुँह से निकली हुई बात काे भी वापिस नहीं लिया जा सकता है, कई बार हम बोलते कुछ हैंं और सामने वाला समझ कुछ और जाता है, इसका कारण है हमारे शब्द। जो भी कहें,साफ शब्दों में कहेें।जो बात हमने बाेल दी वाे न ताे वापिस हाे सकती है, न बदली जा सकती है। एक बार आपकी बात से किसी का मन दु:खित हाे गया तब आप लाख उसे सुधारना चाहे वाे नहीं सुधर सकता।
इंसान चाहे कितना भी अमीर हो या गरीब हो। यह कोई नहीं देखता मगर प्यार के दो मीठे बोल जीवन में हमेशा याद रहते हैं। और लोगों के मरने के बाद भी अच्छे लोगों को और उनकी बातों को हमेशा याद किया जाता है। इसलिए कभी भी अपने मुंह से कोई भी ऐसा शब्द नहीं निकालना चाहिए जो कि सामने वाले को तकलीफ दे। या फिर उनका दिल दुखे। क्योंकि हम हर चीज को पा सकते हैं, लेकिन यदि अपने मुंह से किसी के लिए कुछ बुरा बोल देते हैं, तो उस शब्द को हम वापस नहीं ला सकते। इसलिए हमेशा अपनी बोली को शुद्धता और मिठास के साथ ही बोलना चाहिए। और कभी भी किसी को बुरा नहीं कहना चाहिए। हमारे किसी को अच्छा या बुरा कहने से वह इंसान बदल नहीं जाता है। मगर हमारा व्यवहार और बर्ताव बुरा हो जाता है। इसलिए हमेशा सोच समझ कर ही बात करनी चाहिए।हमारे मुंह से अगर अच्छी बातें निकली है तो स्वाभाविक है कि सामने वाला उससे प्रभावित होगा खुश होगा। लेकिन अगर धोखे से भी हमारे मुंह से अपशब्द निकले हो या फिर किसी की बुराई या फिर ऐसी कोई भी बात निकली हो जिससे सामने वाले का दिल दुखता हो तो वह कभी भी सुधारी नहीं जा सकती। बोली हुई बात को हम वापस नहीं ले सकते। यह जरूर है कि हमें पछतावा होता है। हम माफी मांगते हैं। लेकिन हमारे एक बार बात करने पर जो भी प्रभाव होना होता है वह हो जाता है। इसलिए बोलने से पहले हमेशा सोच कर ही बोलना चाहिए।हमारे द्वारा बोले गए शब्दों से किसी को दुःख पहुंच सकता है, कोई आहत हो सकता है। जिससे जीवन भर उसका घाव नहीं भरता है। जो लोग बोलने से पहले नहीं सोचते है, उन्हें कई दुःखों का सामना करना पड़ता है। अपने इस व्यवहार के कारण उसकी छवि खराब हो जाती है। जो लोग तोल मोल के नहीं बोला करते हैं, उन्हें कभी-कभी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और वो भी अकेले। क्योंकि जो व्यक्ति ऐसा बर्ताव रखता है, उसके पास कोई रहना नहीं पसंद करता। जिसके कारण वह हमेशा और हर जगह पर अकेला रह जाता है।
कई बार इंसान गुस्से में ऐसा बहुत कुछ कह जाता है जिसका उसे बाद में अफसोस भी होता है, इसलिए बाद में पछताने से अच्छा है की हम सोच समझ कर ही बोले। कुछ बोलने से पहले ये सोचना चाहिए कि क्या जो हम बोल रहे हैं वो उचित है और क्या उसकी आवश्यकता है? शब्दों का बाण, इंसान की आत्मा को घायल कर सकता है। हम अपने वचन में बंध कर कभी कभी खुद भी मजबूर हो जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि कभी भी खुश रहो तो किसी से वादा मत करो, दुखी रहो तो, किसी को अपना फैसला मत बताओ और क्रोध में रहो तो किसी से कुछ मत कहो। इन तीनों परिस्थिति में जबान से निकली हुई बात मुश्किल में डाल देती है। जिसके कारण हमारा खूबसूरत रिश्ता भी खराब हो जाता है।
उड़ान@हुमा खान
Aapke blogs life ki choti choti baatoo pr roshni dalte h
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंजब हम शिक्षक के दायित्व में हो तो बच्चों को उनकी गलतियों पर टोकना होता है । कुछ कठोर शब्दों का भी प्रयोग करना होता है उद्देश्य सर्फ बच्चों की भलाई है । हाँ क्रोध में कहे गए शब्द घातक हो सकते है । यह विचारणीय है । अतः बोलते समय शब्दों का प्रयोग समय, काल परिस्थितियों के अनुरूप हो तभी श्रेयस्कर है ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सर! धन्यवाद आपको ,आपने अपना बहुमूल्य समय दिया।
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंThnx
हटाएंEk dum sahi ma'am
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंRight mdm....
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंBohut sahi kaha mam apne🙏
जवाब देंहटाएंInformative . It's a good content with respect to present context. Keep it up.
जवाब देंहटाएंThank you so much
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