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प्रतिज्ञा

सलाम दोस्तों! 
आजकल जहाँ देखो वहाँ हर जगह कोरोना के बारे में ही पढ़ने, सुनने को मिल जाता है। अखबार हो या टीवी, सोशल मीडिया हो या आपसी चर्चा। हर किसी की ज़ुबान पर ये कुछ ही लफ्ज़ हैं -कोरोना, क्वारंटीन,मास्क इत्यादि और हो भी क्यूँ न, इस कोरोना ने हमारा जीवन इतना मुश्किल जो बना दिया है और इस मुश्किल घड़ी में हमारे साथ पूरा शासन, प्रशासन, डॉक्टर और भी लोग हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी मदद करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। हमेशा से ही एकजुटता भारत की पहचान रही है पर न जाने क्यूँ आजकल मैं और शायद आप में से भी कई लोग ये महसूस कर रहे होंगे कि ये एकजुटता कहीं खो सी रही है। 
वजह तलाशने जाएंगे तो बहुत मिल जाएंगी पर सवाल ये है कि क्या हम ऐसे  समय में भी एक नहीं हो सकते।हम ऐसे समय में भी जब पता भी नहीं है कि कौन कब कैसे  इस बीमारी की चपेट में आ जाए, बच पाये या न बच पाये...हम एक दूसरे के बारे में नहीं सोच सकते?
चलिए ठीक है। मान लेते हैं कि नहीं कर सकते हम ऐसा। पर वो डॉक्टर, पुलिस, नर्स और हमारी सुरक्षा के लिए खड़े हर उस इंसान के बारे में तो सोच ही सकते हैं न जो कई दिनों से अपने घर नहीं गए,अपने बच्चों से नहीं मिले, सुकून की नींद नहीं सोए। किसके लिए?  हमारे लिए ही न! 
दुनिया के हर कोने में जहाँ भी ये बीमारी फैली है,कुछेक को छोड़ दें तो सभी लोग डरे हुए हैं। 
जी हाँ! कुछ लोग बहुत बहादुर हैं। वो किसी से नहीं डरते। वैसे तो देश के लिए जान देने जैसी बाते करते हैं पर आज जब देश को वाकई ज़रुरत है तो इन्हें ये कहकर बहादुरी दिखानी है कि हमें नहीं होगा। क्यूँ भई? बीमारी है, किसी को भी हो सकती है। समझो इस बात को। और फिर आपसे कोई सीने पर गोली खाने तो कहा नहीं गया, न ही बार्डर पर लड़ने को कहा गया है। 
सिर्फ घर पर रहने की ही अपील की गई है। वो भी आपके लिए। 
हाँ! समझ सकती हूँ उनकी हालत जो रोज़ की कमाई से अपना घर चलाते थे। ये समय उनके लिए वाकई कठिन है। पर बात वहीं आ गई कि अगर एकजुट हों तो ये भी तो हमारे अपने ही हैं। बचपन से ही हमें स्कूल में प्रतिज्ञा दिलाई जाती थी कि हम सब भारतवासी भाई बहन है। यह कभी नहीं सिखाया गया कि वह किस जाति के हों, किस धर्म के हों। है न! सब मतलब सब। तो बस आज उसी प्रतिज्ञा को निभाने का वक्त है। हैं कुछ लोग जो ये कर भी रहे हैं बस एक दरख़्वास्त है कि कृपया कर फोटो न खींचे। ये बात आप अपने और अपने ईश्वर के बीच ही रहने दें क्योंकि देने वाला भले ही ख़ुशी से देता है पर जो ले रहा वह आज बहुत मजबूर है। 
इसके अलावा और करना भी क्या है! सिर्फ अपने घर पर ही तो रहना है और ये भी ध्यान रखना है कि हमारे आसपास कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं जिसे आज हमारी ज़रुरत है। सोचिए! जब हम अपने कामों में व्यस्त रहते थे तो अक्सर हम अपने आप को और अपने परिवार को वक्त नहीं दे पाते थे। तो आज आपके पास समय है कि आप उन्हें समय के साथ घर रहकर सुरक्षा भी दे सकते हैं। व्यस्तता के कारण जिन मित्रों, रिश्तेदारों से कई अरसे से बात नहीं हो पाई,उनसे बात कर सकते हैं। अपने कोई शौक जिन्हें जीवन की आपाधापी में कहीं भूल गए हैं, उन्हें पूरा कर सकते हैं।
बस घर पर रहें और सुरक्षित रहें। आप भी सुरक्षित और हमारा देश भी। इन्शाअल्लाह हम सबकी ज़िन्दगी की रेलगाड़ी वापस पटरी पर दौड़ेगी।

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उड़ान@हुमा खान 

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