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क्या मैं सही हूं?

रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत से पल आते हैं, जब हमें जल्दी ही कोई फैसला करना पड़ता है। ऐसे वक्त पर फैसले का सही या गलत होना उतना मायने नहीं रखता  जितना फैसले का लिया जाना मायने रखता है। अगर आप सही समय पर फैसला नहीं कर पाते हैं तो कई मौके खो बैठते हैं। इसमें दो तरह की संभावनाएं रहती हैं। एक तो यह कि सही फैसला लिए जाने पर आपका फायदा होगा और दूसरा, गलत फैसला लिए जाने पर आपको एक सीख मिलेगी। अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए फैसले लेने की कला में आपको माहिर बनना होगा। फैसला लेंगे तो जीवन में सफलता जरूर मिलेगी। इसके लिए कुछ इस तरह कोशिश की जा सकती है-
•बहुत से लोग किसी भी फैसले को लेने से पहले उसके नतीजों और उससे जुड़ी बुरी संभावनाओं के एक-एक पहलू पर इतना सोचने लगते हैं कि उसी में उलझ कर रह जाते हैं। किसी बात पर ज्यादा सोच-विचार करने से वे एक छोटा सा फैैसला भी खुद नहीं कर पाते हैं। इसके उन्हें दो नुकसान होते हैं। एक तो उनके दिमाग में उलझन बनी  रहती है और दूसरा, उनके अपने आप में ही उलझे रहने का फायदा उनके दुुश्मन उठा ले जाते हैं। तमाम विकल्पों पर सोच-सोचकर अपनी ऊर्जा गंवा चुके ये लोग प्रतिद्वंदियों का छोटा सा दांव भी विफल नहीं कर पाते। आपको कोई भी फैसला लेते समय सोच-विचार जरूर करना चाहिए, पर इसमें ज्यादा उलझने के बजाय अपने फैसले को सही साबित करने के लिए कड़ी मेहनत में जुट जाना चाहिए। कड़ी मेहनत से आप अपने किसी भी फैसले को सही साबित कर सकते हैं। 
 
•बेशक महत्वपूर्ण फैसले लेने में उनके फायदे और नुकसान पर गौर कर लिया जाना चाहिए लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं कि आप उनके विश्लेषण में फैसले लेने का सही समय ही गंवा दें। इससे बचने के लिए अपने लिए एक समयसीमा तय करें। एक बार फैसला लेने के बाद आपको उस पर डटेे रहना चाहिए।उसके बाद आपको सिर्फ कर्म करना चाहिए और दुनिया को दिखा देना चाहिए कि आपका फैसला सही था। कई बार ऐसा होता है कि समय निकल जाता है और हम तय ही नहीं कर पाते हैं कि क्या करना है। उलझने के बजाय हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

•अक्सर वे लोग फैसले नहीं ले पाते जो हमेशा सही होना चाहते  हैं। सबसे पहले तो यह बात समझ लें कि आप इंसान हैं और इंसान गलतियों से ही सीखता है।  जब आप गलती की आशंका स्वीकार करना सीख जाएंगे तब आप उस गलती के कारण पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए भी खुद को तैयार कर पाएंगे। इस तरह आप अपने दिमाग को खुलकर सोचने का अवसर देते हैं। ज्यादा सोच-विचार या प्लानिंग करने से आपके जोखिम लेने की क्षमता घटती जाती है। इससे आप सिर्फ घिसे-पिटे ढर्रे पर ही चलते हैं और किसी नए काम को करने का निर्णय नहीं लेते हैं। 
तो बस जब भी कोई फैसला ले तो इन बातों को ध्यान में रखकर करें। अगर ब्लॉग अच्छा लगा हो तो शेयर करें।
कमेंट्स में ज़रूर बताएं आपको कैसा लगा। 
शुक्रिया 
Huma khan
@उड़ान

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