सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कोई इन्हें भी तो समझे.....

कोरोना वायरस महामारी के शुरू होते ही सभी तरह के शिक्षण संस्थानों को बंद किए जाने की घोषणा कर दी गई थी. सरकार के इस फैसले का सभी ने स्वागत किया था. कोई भी स्कूल और अभिभावक अपने बच्चों की देखभाल में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता था. जिन स्कूलों या कॉलेजों में परीक्षाएं शुरू या संपन्न हो चुकी थीं, वहां के छात्रों को उनके पुराने परीक्षा परिणामों के आधार पर पास कर दिया गया था. कुछ संस्थानों ने परीक्षाएं ऑनलाइन करवा ली थीं. हालांकि, उसके बाद सभी के सामने एक ही प्रश्न था कि अब आगे क्या? अप्रैल में लॉकडाउन जारी था और ऐसे में शिक्षण संस्थानों ने अपने हिसाब और सहूलियत को देखते हुए ऑनलाइन मीटिंग कर शिक्षकों को पढ़ाई शुरू करवा देने की सलाह दे डाली।

मरता क्या न करता।कई सारे शिक्षक आज भी ऐसे हैं जो केवल शिक्षा देकर ही अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं और कई निजी संस्थानों में वेतन तक नहीं दिया जा रहा था तो इस उम्मीद से कि कम से कम कक्षा होगी तो वेतन मिलेगा, शिक्षकों ने इस फैसले का सम्मान किया और लग गए काम पर।

परंतु जल्द ही उन्हें ये एहसास हो गया कि तकनीक के मामले में उनसे ज़्यादा स्मार्ट तो आजकल के 5-6 वर्ष के बच्चे हैं। 

हर टीचर टेक्नोलॉजी के साथ बहुत सहज नहीं था।  हालांकि, बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के प्रयास में सभी शिक्षकों ने अपने बलबूते बहुत जल्दी हर तरह की तकनीक के साथ सामंजस्य बिठाना सीख लिया था, इसके लिए उन्हें कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं दी गई थी.बस कह दिया गया था कि पढ़ाना है और उसके बाद जो हुआ वो देखकर इन बेचारों पर दया भी आती है और समाज में जो बड़ी बड़ी बातें होती हैं इनके लिए उस पर हंसी भी। हुआ यूं कि इसके बाद भी वेतन उम्मीद से बहुत कम कर दिया गया, वजह बताई गई आर्थिक संकट। वाह!

स्कूल-कॉलेज में शिक्षकों का छात्रों के साथ वन-टु-वन इंटरैक्शन होना सामान्य बात है. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण के दौरान इस तरह की दिक्कतें आना आम बात है। शिक्षक लैपटाप और स्मार्ट फोन के माध्यम से अपने घरों में बैठकर क्लास के 30-40 बच्चों को पढ़ा रहे होते हैं. वे बच्चे भी अपने-अपने घरों में अलग-अलग जगहों पर हैं और ऐसे में सभी से क्लास जैसा इंटरैक्ट कर पाना बहुत मुश्किल है।ब्लैकबोर्ड और चॉक के आदी शिक्षकों के लिए ऑनलाइन पढ़ा पाना काफी मुश्किल है. यहां उन्हें प्रेजेंटेशन बनानी पड़ रही हैं और उसी के माध्यम से अपने छात्रों को पढ़ा पा रहे हैं. इन नए तरीकों के साथ तुरंत एडजस्ट कर पाना आसान नहीं है. 

ऊपर से कुछ शिक्षक तो बेचारे ऐसे हैं जिनके पास ये संसाधन थे भी नहीं। फिर भी हमेशा की तरह जुट गए किसी भी तरह अपना पूरा सहयोग देने में।

ऑनलाइन पढ़ाना, क्लास का वीडियो रिकॉर्ड कर बच्चों को भेजना, फिर उनका होमवर्क प्लान कर पीडीएफ के माध्यम से मेल या व्हॉट्सऐप करना और फिर उसे जांचना भी, मज़ाक नहीं है जनाब! 

संस्थान में शिक्षक बच्चों को डांटकर, प्यार से और कभी-कभी सजा देकर समझा-बुझा लेते हैं।ऑनलाइन एजुकेशन में यह मुमकिन नहीं है. ऐसे में कई बार क्लास को व्यवस्थित कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. कभी टीचर का डिवाइस म्यूट (Mute) हो जाता है तो कभी बच्चा अनम्यूट (Unmute) किए बिना अपनी पूरी बात कह जाता है. कभी किसी का इंटरनेट बंद हो जाता है तो कभी फोन या लैपटॉप बंद हो जाता है और कभी बच्चे का मन नहीं होता तो महाशय वीडियो बंद करके अपने काम निपटा लेते हैं। 

इतना ही नहीं, लोगों के मुंह से अब गाहे-बगाहे ये भी सुनने को मिल जाता है कि ये बढि़या है, घर से पढ़ाओ और फुर्सत! अरे भई,ज़रा आप एक बार पढा़ कर दिखाइये। 

जनाब, संस्थानों में 8-9 घंटे बिताने वाले शिक्षकों की ड्यूटी भी अब कई घंटों से बढ़ चुकी है. संस्थान में पढ़ाते समय वे हर छात्र पर पर्सनली ध्यान दे पाते थे, जो फिलहाल मुमकिन नहीं है. सिर्फ इतना ही नहीं, अब शिक्षकों को पढ़ाई के नए तौर-तरीकों के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि बच्चों के साथ ही उनके अभिभावक भी शायद क्लास अटेंड कर रहे होंगे।

अपनी जिंदगी और ज्ञान का अमूल्य हिस्सा हमारे साथ बांटने वाले शिक्षक धन्यवाद के पात्र हैं. हर छात्र व अभिभावक को शिक्षकों का शुक्रिया अदा करना चाहिए.तो ज़रा कटाक्ष करने और उनकी मेहनत पर सवाल उठाने की बजाय उनकी तारीफ कीजिये ।फिर देखिए कैसे वे दोगुने जोश और तैयारी के साथ ऑनलाइन एजुकेशन में अपना बेहतर प्रदर्शन दे पाएंगे. इस बार परीक्षा सिर्फ बच्चों की नहीं है, बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों की भी है. ऐसे में सभी को एकजुट होकर शिक्षा के नए तौर-तरीकों में अपना योगदान देना होगा.

नोट:-यहां पर सभी संस्थानों की बात नहीं की गई है और न ही सभी छात्रों की। कई छात्र बहुत मन लगा कर पढ़ाई कर रहे हैं और कई संस्थानों ने अपने कर्मचारियों का इस मुश्किल समय में बहुत साथ दिया है जो काबिले तारीफ है। 
कमेंट्स में ज़रूर बताएं कि आपको यह ब्लॉग कैसा लगा। 
उड़ान@हुमा खान 



टिप्पणियाँ

  1. Thanks to u mam n all my teachers those who are teaching us in such difficult time 😊🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत कुछ कहना चाहता हूं पर
    रहने दो
    कुछ पीड़ा अच्छी होती है जो जीवन भर साथ देती है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Yhi ek platform h jaha Aap Apni bt khul kr bol skte h#weRlistening.please boliye.we'll never reveal your identity

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तोल मोल के बोल

सलाम दोस्तों! आज मैं अपने ही अनुभव से एक विषय पर लिखने जा रही हूँ। विषय आप ऊपर देखकर समझ ही होंगे- तोल मोल के बोल अर्थात जो बोल रहे हैं उन शब्दों का चुनाव सोच समझ कर करें। कई बार हमारी कही हुई एक छोटी सी बात किसी का दिल दुखा देती है। पहले सोचो फिर बोलो। यह कहावत हमारी भलाई के लिए ही कही गई है इसीलिए जो भी बोलें, सोच समझकर बोलें। अक्सर हम ऐसे शब्दों का प्रयोग कर लेते हैं जोकि हमें नहीं करने चाहिए क्योंकि एक बार जो शब्द जुबान से निकल गया, वह वापस नहीं लाया जा सकता और इसमें नुकसान हमारा ही है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें जो किसी को तकलीफ दें।जैसे कम़ान से निकला हुआ तीर कभी वापिस नहीं आता, जैसे काेई पत्ता पेड़ से टूटने के बाद वापिस जुड़ नहीं सकता। ठीक वैसे ही मुँह से निकली हुई बात काे भी वापिस नहीं लिया जा सकता है, कई बार हम बोलते कुछ हैंं और सामने वाला समझ कुछ और जाता है, इसका कारण है हमारे शब्द। जो भी कहें,साफ शब्दों में कहेें।जो बात हमने बाेल दी वाे न ताे वापिस हाे सकती है, न बदली जा सकती है। एक बार आपकी बात से किसी का मन दु:खित हाे गया तब आप लाख उसे सुधारना चा...

क्या मैं सही हूं?

सलाम दोस्तों! आज बहुत दिनों बाद लिख रही हूँ। आज बात करने वाली हूँ  हमारे फैसलों की जो हमारी जिंदगी पर बहुत असर डालते हैं। जिंदगी में न जाने कितनी बार हम खुद से ये सवाल पूछते हैं कि क्या हम सही है? है न!  तो आइए जानते हैं कि हम कैसे नतीजे पर पहुचें । अगर आप अपनी ज़िंदगी में कामयाब होना चाहते हैं तो आपके अंदर फौरन अपने फैसले लेने की हिम्मत होनी चाहिए। रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत से पल आते हैं, जब हमें जल्दी ही कोई फैसला करना पड़ता है। ऐसे वक्त पर फैसले का सही या गलत होना उतना मायने नहीं रखता  जितना फैसले का लिया जाना मायने रखता है। अगर आप सही समय पर फैसला नहीं कर पाते हैं तो कई मौके खो बैठते हैं। इसमें दो तरह की संभावनाएं रहती हैं। एक तो यह कि सही फैसला लिए जाने पर आपका फायदा होगा और दूसरा, गलत फैसला लिए जाने पर आपको एक सीख मिलेगी। अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए फैसले लेने की कला में आपको माहिर बनना होगा। फैसला लेंगे तो जीवन में सफलता जरूर मिलेगी। इसके लिए कुछ इस तरह कोशिश की जा सकती है- •बहुत से लोग किसी भी फैसले को लेने से पहले उसके नतीजों और उससे...